जैसे तीव्रता कम हो गयी है
प्यार करने की
उदास होने की
सबकी
अब कुछ भी मुझे भीतर तक अनुभव नहीं होता
बाकी,
मन के समुन्द्र में जो भी बचा है
उसमे,
प्यार में एक दो लहरे उठती है
और उदासी में एक दो गिरती
बाकी अनुभूतिया
बस स्थिर में ही पनपती है
और स्थिर में ही समा जाती है
No comments:
Post a Comment