अभी कल ही तो देखा था उसे
घर के आँगन में सुराख़ भरते
वो सुराख़ जिसमे चीटियां रहती थी
वो सुराख़ जिसमे अब चीटियां नहीं रहती
वो सुराख़ जिसमे अब जीव नहीं मुर्दे रहते है
वो सुराख़ जो घर से शवघर बन गया
वो सुराख़ जहा बस अँधेरा और सन्नाटा है
वो सुराख़ जो केवल ऊपर से भरा है
वो सुराख़ जो एक खोखला अतीत मात्र है
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