ये धंधा मंदा है बाकियों के लिए
मेहनत लगती है सलीका सीखने के लिए
आशिक़ मिज़ाजी तो कर लेते है फुटकर में भी
जुगत लगती है नसीहत थोक में बेचने के लिए
मौजूदगी का एहसास तो सभी कराते है
एक अरसा लगता है गैरमौजूदगी पनपने के लिए
प्यार तो सिखा देते है लोग करके
अतफाल-ए-सुकूँ चाहिए मन मचलने के लिए
चीखना चिल्लाना,रोना गाना सुन लेती है भीड़ भी
एक बोझा गिरता है आदमी के हलक तक पहुँचने के लिए
जब खुद के अनासिर से आजुर्दा हो जाते है लोग
फिर मौत लगती हैं इश्क़ में जीतने के लिए
अब और लिखोगे, तो रो दोगे "तपिश"
जिगर का टुकड़ा लगता है,कागज़ पे मरने के लिए
-आदित्य
मेहनत लगती है सलीका सीखने के लिए
आशिक़ मिज़ाजी तो कर लेते है फुटकर में भी
जुगत लगती है नसीहत थोक में बेचने के लिए
मौजूदगी का एहसास तो सभी कराते है
एक अरसा लगता है गैरमौजूदगी पनपने के लिए
प्यार तो सिखा देते है लोग करके
अतफाल-ए-सुकूँ चाहिए मन मचलने के लिए
चीखना चिल्लाना,रोना गाना सुन लेती है भीड़ भी
एक बोझा गिरता है आदमी के हलक तक पहुँचने के लिए
जब खुद के अनासिर से आजुर्दा हो जाते है लोग
फिर मौत लगती हैं इश्क़ में जीतने के लिए
अब और लिखोगे, तो रो दोगे "तपिश"
जिगर का टुकड़ा लगता है,कागज़ पे मरने के लिए
-आदित्य
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