Thursday, September 29, 2016

जिंदगी आज कल

जिंदगी इन दिनों अजीब सी है
वक़्त आजकल ना मौका देता है , ना वक़्त
और देर हो जाती है
आभास के आभास होने तक।
बस कुछ शब्द उठते है
आते है , जाते है
ना कोई कम्पन होती है
ना कोई आवाज उठती है
बस धूल के कुछ कण
फिर से जम जाते है, जाने पहचाने कोनो में
और पहरा लगाने लगते है
मनचले, बदमाश तरंगे।
मानो ये हो चोर है और कोतवाल भी !!

-आदित्य 

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