Thursday, June 7, 2018

इर्द गिर्द के लोग

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है

कुछ है मोटे दिमाग से
कुछ बंद डब्बो में रहते है
कुछ की चमड़ी मखमल सी नाजुक
कुछ पानी से बहते है

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है

कुछ की छाया संकीर्ण डंडी सी
समा ना पाए एक आदमी भी
कुछ फलो से है लदे भी
कुछ तराजू ले के चलते है

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है

कुछ ने चबा रख्खी है नागफनी
कुछ ने उगा रख्खे है कांटें
कुछ दावा करते है गुलाब का
कुछ बिन कहे ही बोल पड़ते है

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है

कुछ ने ढक रख्खा है खुद को
कुछ खुले आम घूमते है
कुछ लेके चलते है कम्बल
ठण्ड देख ओढ़ लेते है

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है

हम जो है जानवर समाज के
यार की फ़िराक में घूमते ही रहते
हार कर यार की पोशाक को
समझौतो से जन्मे "कुछ" के सर
जड़ते की रहते है

ये लोग मेरे इर्द गिर्द रहते है
मेरे कुछ नहीं लगते है


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