Wednesday, October 27, 2010

हवाएँ

ये हवाएँ देती है साथ
बिना सोचे बिना जाने

कोई चूमता है
कोई ललकारता है
कोई कसमकस में
छोड़ देता है

पर कही न कही
किसी न किसी तरह से
ये छोड़ती है छाप
हमारे मन पे
इस जीवन पे

फिर हो जाता है शांत
एकदम एकांत
हर पहलु , हर प्रान्त

इंतज़ार में
उन्ही हवाओ के
©Aditya Kumar

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