ये हवाएँ देती है साथ
बिना सोचे बिना जाने
कोई चूमता है
कोई ललकारता है
कोई कसमकस में
छोड़ देता है
पर कही न कही
किसी न किसी तरह से
ये छोड़ती है छाप
हमारे मन पे
इस जीवन पे
फिर हो जाता है शांत
एकदम एकांत
हर पहलु , हर प्रान्त
इंतज़ार में
उन्ही हवाओ के
©Aditya Kumar
बिना सोचे बिना जाने
कोई चूमता है
कोई ललकारता है
कोई कसमकस में
छोड़ देता है
पर कही न कही
किसी न किसी तरह से
ये छोड़ती है छाप
हमारे मन पे
इस जीवन पे
फिर हो जाता है शांत
एकदम एकांत
हर पहलु , हर प्रान्त
इंतज़ार में
उन्ही हवाओ के
©Aditya Kumar
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